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Showing posts from June, 2022
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१. पश्चिम प्रभाग की वृ्ध्दी-टेरेस-खिड़की होनेसे सप्तम स्थानकी स्थिती बिगड़नेका संदेश देती है । जब भी पश्चिम से आकाश तत्व प्रकट होता है तब उसमें राहू के क्रूर स्पंदनोंका प्रभाव रहता है । यह राहू भेद-कलह-विषाद-विषमयताको भवनमें ले आता है ।
२. पश्चिम प्रभाग से जब प्रकाश की मात्रा चलती है तब यह प्रकाश अस्तशील प्रसंगोंको जीवनमें निर्माण करता है । अस्तशील प्रवाह शनी ग्रहसे जुड़े हैं तो जिस भवनमें पश्चिमसे प्रकाश है उस भवनमें अखंड शनीके ढैय्या जैसा अनुभव होगा ।
३. कलह और भेदका संदर्भ कुण्डलीमें सप्तमेश से तो भवनशास्त्रमें मित्र देवतासे जुड़ा है । पूर्वकी उर्जा जब पश्चिम की तरफ़ बहनेके बजाय विपरीत चलती है तब जनमपत्रीमें सप्तमेशकी और भवनमें मित्रदेवता की स्थिती बिगड़ी हुयी नज़र आयेंगी ।इस प्रकारसे जन्मपत्री और भवन का संदर्भ जोडनेसे फलित सुधार सकते हैं -यही वास्तु ज्योतिष विषय का महत्व है ।
४. वायव्य वृद्धि तथा एक तरीकेसे पश्चिम कट ऐसी स्थिती रहनेसे भवनमें वायुतत्वका स्पंदन पूर्णतः अनियमित हो जाता है । इससे भवनमें कलह और भेद का वातावरण बिगड़ता जाता है । इसका जन्मपत्री में सप्तमेश और सप्तम स्था...
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१. आग्नेय दिशा की वृद्धि तथा टेरेस इस दिशासे आकाश-प्रकाश-उर्जा के स्पंदनोंको बढ़ाता है । पारंपरिक शास्त्रमें ये स्पंदन शोककारक माने गये हैं । १-५-९ अग्नीतत्वकी राशीयोंके स्पंदन जब बिगड़ते हैं तब इस प्रकारका प्रतिबिंब भवनमें पाया जाता है । इसके कारन व्यक्ती के अहंकार और महत्वाकांक्षा में बढौती होनेसे जीवनमें शोक और दाह प्राप्त होनेकी संभावना रहती है ।
२. आग्नेयप्रभागमें याने ग्यारह और बारवे स्थानमें वायुतत्वमें रवी या मंगल होनेसे इस प्रकारकी स्थिती भवनमें पायी जा सकती है । घटबिंब सिध्दांतके अनुसार भवनकी आग्नेयवृध्दी ग्यारह और बारवे स्थानके वायुतत्व से पाये जाते हैं तथा रवि और मंगल ग्रहोंके कारन अग्नीकी तीव्रता तथा क्रोध और अहंकार में विपरीतता दिखाई देती है ।
३. रसोई घर आग्येयमें न होना तथा आग्नेयमें टेरेस के कारन वृध्दी होना , ये देवताओंके भूखे रहनेका संदर्भ दर्शाते हैं । क्यूँकि नभपदमें जब अन्नरसोंकी सौरभता प्राप्त नहीं होती तब देवताओं को बली प्राप्त नहीं होता । इसीका परिणाम भवनमें इच्छापूर्ती न होनेको दर्शाता है , जो की क्रोधमें वृध्दी करता है । जनमपत्रीमें अग्नीराशीमें शनी और चंद्र...
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जब दो आमने सामने की दिशाओंमें दोष रहता है तब पूरा अक्ष बिगड जानेसे ब्रह्मस्थानका स्पंदन धीमा होनेसे ; पूरा वास्तुदेवता मंडल हिल जाता है ।ऐसे दो दिशाओंके दूषित भवनको महादूषित भवन कहना चाहिये । जैसे यहॉंपर मध्यपूर्व प्रवेशके साथ पश्चिममें विपरीत अंतराल का दोष है ।
When there are faults in the two opposite directions then it spoils the entire axis . As the axis passes through the Brahmsthan; these complementary faults disturb the rhythm of the Brahmsthan. This displaces the deities in the vaastu purush mandala. This is termed as the severe fault of the Vaastu . As over here along with the central east entry along with the void to the west .
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प्रमुख दिशाके मध्यप्रभाग से प्रवेश तीव्र साबित होता है । विशेषतः पूर्व और दक्षिण मध्य प्रभाग से प्रवेश हो , तो उसके तीव्र विपरीत परिणाम घरवालोंको भुगतने पड़ते हैं । पूर्वके सूर्यपदसे प्रवेश क्रोध तथा हिंसासे जोड़ देता है ।दक्षिणके यमपदका प्रवेश मृत्युतुल्य पीडाका अनुभव देगा ।
The main entrance from the central division of any direction proves to be intense. Specially the central zone entries from east and south prove to be bad. Centre of the east entrance from the Surya division leads to anger and may enter in the violent mode. Centre of south from the Yama division may lead to pains of the level of the death penalty.
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दक्षिण दिशामें इस प्रकारसे विपरित अंतराळ होना , एक प्रकारसे पितृदोष है । विवस्वान देवता पितृकोषसे जुडी है । ऐसे भवनमें पितृदोषसे जुडे सब विपरित भोग भुगतने पडते हैं , विशेषतः इसके परिणाम अपमृत्यू-संतानहानी-निपुत्रिकता जुडे रहते हैं ।
Such distracted sky due to cut in the south zone signifies a severe pitrudosha in the Vaastu .The Angdevta Vivasvan is connected to the institute of ancestors . In such house occupants suffer due to all types of pains related to the pitrudosha .Specially it leads to premature death -loss of child-no child or child with some deficiencies in talk-walk-intellectual faculty.
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इस भवनमें उत्तर दिशामें शौचालय के कारन प्रदूषित जैविक उर्जा से स्त्रीव्याधी होनेकी संभावना रहेगी । इस भवनमें सोम पदमें बाधा होनेसे मानसिक तौरपर कष्ट-रोग-दुःख होना संभव है । शौचालय की वजहसे उत्तरकी जैविक उर्जा का विसर्जन होनेसे उर्जा निर्बल हो जाती है ।
In this house due to toilet in the north zone ; organic streams get polluted that may lead to multiple allergies to ladies of the house .Since the Soma deity is polluted it may disturb the psyche leading to hardships-anxiety-pain.
Toilets due to heavy earth element blocks the energy streams leading to anti-clockwise streaming of the energy.
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अगर मुख्य प्रवेश शिखीमें ईशान्यकोनमें है तो अग्नीके दिव्य स्वरूप का कोप हो जायेगा ।ऐसा प्रवेश शोक-दुःख-भय निर्माण करेगा-ऐसा पारंपरिक शास्त्र वचन है । उत्तरी जैविक और पूर्वकी प्राणिक उर्जा का सुसंगम नहीं होगा । उर्जा का बहाव मंडलाकार न होनेसे तत्वोंका संतुलन बिगड़ जाएगा ।
If the main entry to the house is from northeast corner that is from Shikhi division then it disturbs the divine expression of the fire element ; which showers the blissful prosperity and intelligence. Such entry will disturb the positive confluence of the pranik and organic streams of the east and the north zone. This disturbs the mandalas of energy that creates the imbalance of the elements.
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वायव्यप्रभागमें शौचालय होना ठीक है , मगर जिस भवनमें आग्नेय कट होता है उसमें इस प्रकारकी स्थिती विपरीत अनुभव देगी । वायव्यमें तुलनात्मक प्रबल पृथ्वीसत्ता होनेसे ऐसे भवनमें लडकीयोंके विवाह की समस्या तीव्र होनेकी संभावना है ।
Toilets to northwest is right sequence but when there lies cut to the southeast zone then it may create problems. As northwest is loaded and southeast has void ; it may lead to problems and delays in the marriages of daughters .
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आग्नेय प्रभागमें नभ और अनिल पद हैं ।जब नभ पदोंमें विपरीत अंतराल रहता है तब उस भवनका देवता तत्व भूखा रहता है । और अनिल पदमें विपरीत अंतराल होनेसे उर्जा तीव्र आक्रमित होती है । ऐसे भवनमें भूख-प्यास-ताप-दाह-शोकका अनुभव होता है ।
Southeast matrix of deities contains Nabha and Anil Devta .When there lies excitation of the ether in the Nabha division then deities of that house remain hungry . When Anil division contains hyper excitation of the ether then energy becomes intense and destructive in that house. In such house occupants may experience hunger-thirst-torture-stress-pain .
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मूलतः यह भवन विदिशा होने के कारन इसमें तीन प्रकारके दोष अंतर्भूत हैं । विदिशा वास्तूमें बलहीन उर्जा-असंतुलित तत्व-विपरीत सौरसंदर्भ जैसे दोषोंके साथ अगर उगम दिशामें शौचालय और अस्तदिशामें टेरेस रहनेसे स्थिती पूर्णतः बिगड़ जाती है ।
Basically this being the Vidisha Vaastu ; there are three types of inherent faults like weak energy-imbalanced elements-distracted solar relationship . In addition if there happens toilets in the source zones and terraces to the sink zones then the cosmic conditions of that house become worst .
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इस भवनमें वायव्य से नैरूत्य तक सभी दिशाओंमें दोष होनेसे इस भवनके आकारप्रकार में और संरचनामें बदल किये बग़ैर रहना खतरेसे ख़ाली नहीं है ।
पूर्व आग्नेय नैरूत्य में महादोष होने के कारन काल गती विपरीत रहेगी । ऐसे भवनमें अपमृत्यु का भय मंडराता रहेगा ।
As this house contains faults right from northwest to southwest ; it's very difficult to treat this house ; just by remedies. Unless form correction is done ; it's difficult to change the time cycles and eventology connected to that house .
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षण्महन्तीके संवेदनशील बिंदू ईशान्य से नैरूत्य के उर्जा अक्ष में होनेसे इस जल-पृथ्वी अक्षको वास्तूमें सर्वाधिक महत्व है । जब किसी वास्तूमें ईशान्य और नैरूत्य में दोष रहते हैं तब उसका तीव्र विपरीत परिणाम भवनके सदस्योंको सहना पड़ता है ।
All sensitive nodes of the Vaastu Purusha lie on the axis of earth and water ie on the northeast to southwest passage of energy . When any Vaastu has faults simultaneously to northeast and southwest directions then the occupants suffer seriously in such house .
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नैरूत्य दिशामें टेरेस होना याने नैरूत्यमें आकाश प्रकाश उर्जा का स्पंदन होना ।यह स्पंदन पृथ्वीतत्वका लोप करता है।योगशास्त्र के अनुसार पृथ्वीतत्वमें व्यक्तीका जीव होता है और आकाश तत्वमें व्यक्तीका शिव होता है ।एक तरहसे ऐसी टेरेस व्यक्तीके लिये जीवनाशक हो जाती है । इसलिये नैरूत्यमें महादोष होनेवाले भवनमें आत्महत्या करनेकी प्रवृत्ति दिखाई देती है ।
Terrace to the southwest means this zone will get activated by the vibrations of the ether-energy-light that kills the strength of the earth element.Philosophically person is connected to the earth element with his all ambitions-desire-senses and he is connected to the ether with his all ascension-divinity-contented psyche . So when earth element of the southwest becomes weak ; in that house tendencies towards suicide increases . In casestudies it can be observed very often .
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दो आजुबाजूकी दिशाओं में जब दोष रहता है तब उर्जा और तत्व दोनोमें दोष होनेसे इसका तीव्र विपरीत परिणाम भुगतना पड़ता है । जैसे पूर्व दिशामें शौचालय तथा आग्नेय दिशामें विथिशूला और प्रवेश होनेसे प्राणिक उर्जा और अग्नीतत्वमें बाधा आ जायेगी । यह उर्जा और तत्व एक दूसरेसे जुड़े हुए हैं । इसलिये संतान पर उसका तीव्र विपरीत परिणाम होनेकी संभावना है ।
When two connected directions contain faults then it affects the energy and element connected to these directions. When energy and element both are imbalanced then it's effects on occupants become worse. As here east is polluted due to toilets and southeast has hitting forces with entry , so pranik energy and fire element both are not in good condition. In such cases there happens intense negative effects on children .
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भवनमें जहॉं कट होता है तो उस दिशामें पृथ्वीतत्व शून्य हो जाता है तथा आकाश प्रकाश उर्जा के स्पंदन अधिक मात्रा में रहते हैं । इसलिये अस्तदिशाओंमें कट रहनेसे ये स्पंदन सूर्य पिंगला नाड़ी का प्रभाव बढ़ाते हैं । इस नाड़ी का परिणाम क्रूर और कठिणकर्मा कहा गया है ।
In any home where there lies cut there earth effect becomes null and void . This leads to excitation of the ether-energy-light . So if these cuts are to sink directions then these excitations lead to cruel effects of the Pingala streams .
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भवनमें जो कटस् होते हैं उनपर केतू ग्रहका प्रभाव और सत्ता रहती है । केतूके स्पंदन मंगलके समान तीव्र होते हैं । जब भी केतू के साथ शनी या मंगल जुड़ जाता है तब केतू का स्पंदन बिगड़ता है और भवनमें जिस दिशामें कट रहता है , उस दिशासे जुड़े व्यक्तीके जीवनमें विपरीत घटना घटनेकी संभावना रहती है।
Cuts in the house are under the rule of the planet of Ketu . Vibrations of Ketu are very intense and similar like Mars . When ever in transit Ketu gets afflicted by Saturn and Mars then it disturbs the vibrations of the planet Ketu. Then there lies possibility of the malific event in the life of the family member who is connected to that cut zone of the house .
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इस भवनमें पूर्व प्रदूषित और पश्चिम अतिप्रवाही होनेसे संपूर्ण प्राणिक अक्ष बिगड गया है । पश्चिममें चंद्राकार टेरेस होनेसे पारंपरिक सूत्रके अनुसार ऐसे भवनमें कलह-भेद-झगड़े होनेसे घटस्फोट होनेकी संभावना है ।
This house has polluted east and hyper streaming of west by lunar shaped terrace.Since entire axis of prana is polluted as per the traditional sutra it leads to fights-separation-differences leading to divorce.
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This house has a huge cut to the south zone ; so it activates the Pingala streams that lead to death-destruction-demolition-discontinuity -defamation. Traditional text says it leads to death of male occupants, loss of deities, loss of wealth and creates diseases.
इस भवनमें दक्षिण प्रभागमें विपरीत अंतराळ होनेसे क्रूर और कठिणकर्मा पिंगला प्रवाहों का विपरीत परिणाम होगा।विपदा-विकार-विनाश-विलाप और विद्रोह को भुगतना पड़ेगा। पारंपरिक शास्त्रके अनुसार पुरूषोंको मृत्युतुल्य पीड़ा , धनहानी, देवतालोप और रोगपर्यवसायी ऐसा अनुभव होगा ।
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इस भवनमें वायव्यमें टेरेस और वायव्यमें कट होनेसे वायुतत्वका अतिबल आविष्कार भवनको तहस नहस कर देगा। सामने आग्नेयप्रभागमें शौचालय होनेसे प्रदूषित अग्नीकी बाधा है । अतिबल वायूसे निर्बल अग्नी बुझ जाती है । इसका विपरीत परिणाम पुरूष संतती पर दिखाई देता है ।
In this house terrace and cut to the northwest leads hyper intense wind element in the house. Such wind acts like a storm that can finish the house in few years. Due to toilet in the southeast fire element is polluted. Intense powerful wind can extinguish the fire element. It's effect happens on the male children in the house.
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यह भवन सर्वाधिक विषम होनेसे इसमें तीव्र विपरीत घटना घटनेकी संभावना रहेगी । प्रदूषित जल तथा प्रदूषित अग्नी होनेसे स्त्री और पुरूष दोनों को यह घर विपरीत रहेगा । भूख-प्यास-ताप-दाह-शोक का अनुभव हर व्यक्तीको होगा।
This house is one of the worse combination of its pattern of planning.Occupants may suffer intense negative effects in this house. Polluted water and polluted fire element disturbs the gents as well ladies in the house. Hunger-Thirst-Pain-Sorrow and torture will be outcome of such house.
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विदिशा वास्तूमें अगर उत्तर और पूर्व दिशाओंसे आकाश प्रकाश उर्जा की प्राप्ती समुचित हो रही हो तो ऐसे भवनमें विदिशा स्थितीका परिणाम शिथिल हो जाता है । विशेषतः टेरेस और कट रहनेसे अच्छा परिणाम प्राप्त हो जाता है ।
If in the Vidisha house north and east gives ample vibrations of the ether-energy-light then the malific effects of the Vidisha Vaastu get substantially reduced . Specially if these directions have terraces and cuts then one gets good effects even of Vidisha Vaastu.
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अगर विदिशा वास्तूमें आग्नेय और वायव्य भुजाए अधिक लंबी रहती है तो ऐसे भवनपर या कारखानेपर अग्नी और वायूका द्वंद आघात करता है । ऐसे भवनका त्याग करना बेहेतर होता है क्यूंकी यह आघात नष्ट करना बहोत मुश्किल रहता है ।
If in any Vidisha house or factory; southeast and northwest directions are much longer than the other sides then such house is under attack of the torque of fire and wind . It's almost impossible to break such torque ; so better to discard such house.
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रसोईघर आग्नेय प्रभागमें होना यह शुभसंकेत है। और ख़ासकर चूल्हा नभ पदमें होनेसे सकल देवताओंका आशीष प्राप्त होता है ।अग्नीको सभी देवताओं का मुख माना गया है इसलिये आग्नेयमें रसोई का रूपांतर प्रसादमें हो जाता है ।
Kitchen in southeast zone is a good news for the occupants.If stove lies in the Nabha division then occupants get blessings of all deities. As fire is considered as the mouth of all the deities , kitchen in southeast transforms food in to sacred food.
शौचालय एक बंद जगह होती है । वहॉंपर हरवक्त कम खिडकी के कारन प्रकाश की मात्रा अटक जाती है । उपर लाफ्ट होनेसे जडत्व-पृथ्वीतत्व-गुरूत्वकी मात्रा बढती है । इसलिये दक्षिण पश्चिमके अस्तप्रवाहोंका विसर्जन हो जाता है ।इसलिये दक्षिण और पश्चिममेंही शौचालय होना आवश्यक है ।
Toilets are closed spaces in house ; so they block that zone. Since windows are small it arrests the light of that zone. Because of loft above ; it enhances the earth-load and blockage.Hence it absorbs the sinking streams of the south and west ; so should be placed to...
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रसोईघर आग्नेय प्रभागमें होना यह शुभसंकेत है। और ख़ासकर चूल्हा नभ पदमें होनेसे सकल देवताओंका आशीष प्राप्त होता है ।अग्नीको सभी देवताओं का मुख माना गया है इसलिये आग्नेयमें रसोई का रूपांतर प्रसादमें हो जाता है ।
Kitchen in southeast zone is a good news for the occupants.If stove lies in the Nabha division then occupants get blessings of all deities. As fire is considered as the mouth of all the deities , kitchen in southeast transforms food in to sacred food.
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उत्तर प्रवाह-पूर्व बंद-आग्नेय प्रदूषण होनेसे उर्जा का मंडलाकार आविष्कार खंडित होता है । भवनमें आकाशतत्व नहीं ख़ालीपन फैल जाता है ।इस खालीपनमें राहूका प्रभाव रहता है जो जीवनमें संशय-दुर्मति-अव्यवस्था फैलाता है ।
North streams-east closed-southeast polluted breaks the mandalacar form of the energy leading to multiple voids in the house. These voids are ruled by Rahu that creates suspicion-deterioration-defamation in life.
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पूर्व बंद- आग्नेय प्रदूषित-पश्चिम प्रवाह-वायव्य द्वार से संपूर्ण प्राणिक अक्ष बिगडनेसे जीवनमें शोक-वेदना-दुःख का अनुभव होगा। मती-गती-उन्नती में बाधा आयेगी ।अमित्र-अनार्य-अंधेरा छा जायेगा ।
East closed-southeast polluted-west streams-northwest corner entry disturbs the entire axis of prana . This leads to pain-sorrow-torture in life. Decision making power-speed of life-progress get obstructed.Loanliness-sleepless-darkness disturb the life.
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When east and west vibrations are disturbed then it totally disturb the rhythm of the planet Venus . This disturbance may reflect in the hormone cycles of males and females both ; that may lead to childless couple . Even sometimes it may give maimed-crippled children in some aspect.
पूर्व तथा पश्चिमके स्पंदनोंमें बाधा आनेसे शुक्रका स्पंदन बिगड़ जाता है। यह बिगड़ा स्पंदन पुरूष तथा स्त्रियोंके हारमोन्सके चक्र बिगाड़ देनेकी संभावना रहेगी। ऐसे भवनमें संतानहीनता अनुभव हो सकता है। कभी कभी ऐसे भवनमें अपंग संततिकी संभावना रहेगी ।
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पूर्व बंद तथा आग्नेय दिशा शौचालयसे प्रदूषित होनेसे ऐसे भवनमें गुनहगारी प्रवृत्ति होनेकी संभावना रहेगी। ख़ासकर बच्चोंमें इस प्रकारकी वृत्ती बढ़ सकती है । इसीके साथ वायव्य प्रवेश रोग और पापराक्षसी देवताओंका प्रभाव बच्चोंको बिगाड़ सकता है ।समुचित उत्तर प्रवाह भवनमें समृध्दी का आभास निर्माण करेगा ।
Closed east and Polluted southeast due to the toilets may increase the criminal tendencies in such house. Specially children will get targeted to these tendencies of drinks-drugs-thefts.When there lies northwest corner entry then malific effect of Rog and Paap Rakshasi divisions may affect the morality and character of the children.
North streams in such house may create the feel of the prosperity.