Re: Tantra Vaastu

तंत्र वास्तु:
आकारप्रकारसे आकाशतत्व संमिलीत हो जाता है ।और आकारप्रकारके विशेषत्व से विशिष्ट पंचमहाभूत का स्पंदन प्राप्त होता है।
अगर उस आकारप्रकारमें भौमितिक समत्व तथा संवादशील लय रहनेसे देवता तथा शुभयोनीयोंका स्पंदन प्राप्त होता है।इस प्रकार का एक अस्तित्व तंत्र वास्तुका प्रमुख अंग है।ऐसा अस्तित्व भूत-वर्तमान-भविष्यका
सेतू बन जाता है।यह विषय स्पंदन-लहरें-ध्वनी-प्रकाशका एक निचोड़ होनेके कारण मुहूर्त-कर्मकांड-चिद्वस्तु-मंत्र से जुट जानेसे तंत्र वास्तु का निर्माण हो जाता है।जिस प्रकार फेंगशुइमें यीन-यँग से ताई-शी की प्राप्ती होती है उसी प्रकार तंत्र वास्तूमें शिवशक्ती याने तत्वउर्जा को महत्व है।

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> On 08-Jun-2017, at 5:43 PM, Narendra Sahasrabudhe <dr.nhs.vaastu@gmail.com> wrote:
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> तंत्र-वास्तू:
> जब आकारप्रकारमें समत्व तथा संवादी भौमितिक आकृतीका निर्माण होता है तब उर्जाका बहाव संवादसे स्वरकी निर्मिती करता है।इस प्रकारके स्वरमें शृतीका साक्षात्कार होनेसे एक तेजोवलय के माध्यमसे देवताका अविष्कार उस आकारप्रकारमें हो जाता है।इस प्रकारसे होनेवाला देवताका सानिध्यही आकारप्कारकी निर्मितीका उद्दिष्ट है।इस प्रकारके तेजोवलयका अस्तित्व सूर्यप्रकाश से भिन्न है।इस प्रकारका प्रकाश विशिष्ट देवतासे ही जुडनेके कारण एक विशेष इच्छा -अभिलाषा-महत्वाकांक्षा की पूर्तीका माध्यम हो जाता है।अष्टदिशा-तत्व-देवता-वास्तुपुरूष मंडल-उर्जा प्रवाह के द्वारा इस तेजोवलयको गती-सिध्दी-भवानी प्राप्त होती है।इसीलिये कामिका आँगन में वास्तुको महातंत्र माना गया है।
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>
>> On 08-Jun-2017, at 4:41 PM, Narendra Sahasrabudhe <dr.nhs.vaastu@gmail.com> wrote:
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>>
>> Tantra-Vaastu:
>> When form has symmetric shape and sacred geometry then due to rhythmic travel of any type of energy it builds the aura that connects to the expression of the deity.The actual presence of the deity is called as the siddhi of the form ie completion of the purpose of the built form.The connectivity to that type of light is much profound and different than the sunlight .It is the guided ray of light that represents the tool to attend the completion of specific wish-will-ambition-desire.Hence aspirations of eight directions-Vaastu purush mandal -energy streams -five great elements act as the means to creat the speed to that ray ie Gati ie Bhavani ie Siddhi .Hence Vaastu is defined as the MahaTantra .
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